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श्लोक 16.5.12  |
तां दृष्ट्वा द्वारकां पार्थस्ताश्च कृष्णस्य योषित:।
सस्वनं बाष्पमुत्सृज्य निपपात महीतले॥ १२॥ |
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अनुवाद |
द्वारका और भगवान श्रीकृष्ण की पत्नियों को देखकर अर्जुन अत्यन्त विलाप करने लगे और मूर्छित होकर भूमि पर गिर पड़े॥12॥ |
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Seeing Dwarka and the wives of Lord Krishna, Arjuna began to cry profusely and fell unconscious on the ground.॥ 12॥ |
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