श्री महाभारत  »  पर्व 16: मौसल पर्व  »  अध्याय 4: दारुकका अर्जुनको सूचना देनेके लिये हस्तिनापुर जाना, बभ्रुका देहावसान एवं बलराम और श्रीकृष्णका परमधाम-गमन  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  16.4.19 
दुर्वाससा पायसोच्छिष्टलिप्ते
यच्चाप्युक्तं तच्च सस्मार वाक्यम्।
स चिन्तयन्नन्धकवृष्णिनाशं
कुरुक्षयं चैव महानुभाव:॥ १९॥
 
 
अनुवाद
उन्हें यह भी स्मरण हो आया कि दुर्वासा ने बासी खीर अपने शरीर पर लगाते समय क्या कहा था। तब श्रीभगवान श्रीकृष्ण अंधक, वृष्णि और कुरुवंश के विनाश के विषय में सोचने लगे। ॥19॥
 
He also remembered what Durvasa had said when he had applied the stale kheer to his body. Then the noble Lord Krishna started thinking about the destruction of Andhaka, Vrishni and the Kuru clan. ॥19॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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