श्री महाभारत » पर्व 16: मौसल पर्व » अध्याय 3: कृतवर्मा आदि समस्त यादवोंका परस्पर संहार » श्लोक 45-46h |
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| | श्लोक 16.3.45-46h  | गदं वीक्ष्य शयानं च भृशं कोपसमन् वितः॥ ४५॥
स निःशेषं तदा चक्रे शार्ङ्गचक्रगदाधर:। | | | अनुवाद | अपने छोटे भाई गड़को को युद्धभूमि में पड़ा हुआ देखकर वह अत्यन्त क्रोध से आगबबूला हो उठा; तब धनुष, चक्र और गदा धारण किए हुए श्रीकृष्ण ने उस समय बचे हुए समस्त यादवों का संहार कर डाला॥45 1/2॥ | | Seeing his younger brother Gadko lying on the battlefield, he became furious with extreme anger; Then Shri Krishna, wielding the bow, disc and mace, killed all the remaining Yadavas at that time. 45 1/2॥ |
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