श्री महाभारत  »  पर्व 16: मौसल पर्व  »  अध्याय 3: कृतवर्मा आदि समस्त यादवोंका परस्पर संहार  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  16.3.18 
क: क्षत्रियोऽहन्यमान: सुप्तान् हन्यान्मृतानिव।
तन्न मृष्यन्ति हार्दिक्य यादवा यत् त्वया कृतम्॥ १८॥
 
 
अनुवाद
हार्दिक्य! तुम्हारे सिवा ऐसा कौन क्षत्रिय है जो रात में मुर्दे की तरह बेहोश पड़े लोगों को मार डाले, जबकि उस पर स्वयं कोई आक्रमण न हुआ हो। यदुवंशी तुम्हारे द्वारा किए गए अन्याय को कभी क्षमा नहीं करेंगे।'
 
Hardikya! Who else other than you is such a Kshatriya who would kill people lying unconscious like dead bodies in the night even though he himself is not attacked. The Yaduvanshis will never forgive the injustice you have done.'
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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