श्री महाभारत  »  पर्व 16: मौसल पर्व  »  अध्याय 3: कृतवर्मा आदि समस्त यादवोंका परस्पर संहार  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  16.3.15 
ततस्तूर्यशताकीर्णं नटनर्तकसंकुलम्।
अवर्तत महापानं प्रभासे तिग्मतेजसाम्॥ १५॥
 
 
अनुवाद
तत्पश्चात् वहाँ सैकड़ों प्रकार के बाजे बजने लगे। अभिनेता और नर्तक सब ओर नाचने लगे। इस प्रकार प्रभास क्षेत्र में अत्यंत तेजस्वी यादवों का महान् भोज आरम्भ हो गया॥15॥
 
Thereafter hundreds of types of musical instruments started playing there. Actors and dancers started dancing everywhere. Thus the great feast of the extremely radiant Yadavas began in Prabhas Kshetra.॥ 15॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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