श्री महाभारत  »  पर्व 16: मौसल पर्व  »  अध्याय 3: कृतवर्मा आदि समस्त यादवोंका परस्पर संहार  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  16.3.1 
वैशम्पायन उवाच
काली स्त्री पाण्डुरैर्दन्तै: प्रविश्य हसती निशि।
स्त्रिय: स्वप्नेषु मुष्णन्ती द्वारकां परिधावति॥ १॥
 
 
अनुवाद
वैशम्पायनजी कहते हैं - 'हे जनमेजय! द्वारकावासी स्वप्न में देखते थे कि एक काली स्त्री हंसती हुई, अपने श्वेत दांत दिखाती हुई आती है और घरों में घुसकर द्वारका में स्त्रियों का सौभाग्य लूटती हुई दौड़ती है।॥1॥
 
Vaishmpayana says, 'O Janamejaya! The people of Dwaraka used to see in their dreams that a black woman comes laughing, showing her white teeth and enters houses and runs throughout Dwaraka, robbing the women of their good fortune.॥ 1॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.