श्री महाभारत  »  पर्व 16: मौसल पर्व  »  अध्याय 2: द्वारकामें भयंकर उत्पात देखकर भगवान‍् श्रीकृष्णका यदुवंशियोंको तीर्थयात्राके लिये आदेश देना  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  16.2.15 
पुण्याहे वाच्यमाने तु जपत्सु च महात्मसु।
अभिधावन्त: श्रूयन्ते न चादृश्यत कश्चन॥ १५॥
 
 
अनुवाद
जब पुण्याहवाचन हो रहा था और महात्मागण कीर्तन करने लगे, तब कुछ लोगों के दौड़ने की ध्वनि तो सुनाई दी, परन्तु कोई दिखाई नहीं दिया ॥15॥
 
When the Punyahavachan was being recited and the great souls began to chant, the sound of some people running could be heard but no one could be seen.॥ 15॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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