श्री महाभारत  »  पर्व 16: मौसल पर्व  »  अध्याय 1: युधिष्ठिरका अपशकुन देखना, यादवोंके विनाशका समाचार सुनना, द्वारकामें ऋषियोंके शापवश साम्बके पेटसे मूसलकी उत्पत्ति तथा मदिराके निषेधकी कठोर आज्ञा  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  16.1.17 
इयं स्त्री पुत्रकामस्य बभ्रोरमिततेजस:।
ऋषय: साधु जानीत किमियं जनयिष्यति॥ १७॥
 
 
अनुवाद
महर्षियों! यह स्त्री परम तेजस्वी बभ्रु की पत्नी है। बभ्रु को पुत्र की बड़ी इच्छा है। आप लोग तो ऋषि हैं; अतः भली-भाँति विचार करके बताइए कि इसके गर्भ से क्या उत्पन्न होगा?॥ 17॥
 
‘Maharishis! This woman is the wife of the extremely illustrious Babhru. Babhru has a great desire for a son. You are sages; therefore, think well and tell us what will be born from her womb?॥ 17॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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