श्री महाभारत  »  पर्व 16: मौसल पर्व  »  अध्याय 1: युधिष्ठिरका अपशकुन देखना, यादवोंके विनाशका समाचार सुनना, द्वारकामें ऋषियोंके शापवश साम्बके पेटसे मूसलकी उत्पत्ति तथा मदिराके निषेधकी कठोर आज्ञा  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  16.1.13 
वैशम्पायन उवाच
षट्‍‍त्रिंशेऽथ ततो वर्षे वृष्णीनामनयो महान्।
अन्योन्यं मुसलैस्ते तु निजघ्नु: कालचोदिता:॥ १३॥
 
 
अनुवाद
वैशम्पायनजी बोले - राजन् ! महाभारत युद्ध के पश्चात् छत्तीसवें वर्ष में वृष्णिवंशियों में बड़ा अन्यायपूर्ण कलह आरम्भ हो गया। उसमें काल की प्रेरणा से वे एक-दूसरे को मूसलों (आरों) से मारने लगे॥13॥
 
Vaishampayanji said – King! In the thirty-sixth year after the Mahabharata war, a great unjust discord started among the Vrishnivanshis. In that, inspired by Kaal, they killed each other with pestles (saws). 13॥
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