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श्लोक 15.7.13  |
हृष्टपुष्टबलो गच्छेद् राजा वृद्धॺुदये रत:।
अकृशश्चाप्यथो यायादनृतावपि पाण्डव॥ १३॥ |
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अनुवाद |
हे पाण्डुपुत्र! यदि कोई राजा जो उठने के लिए उत्सुक है, दुर्बल नहीं है और उसके पास बलवान सेना है, तो उसे युद्ध के लिए अनुकूल मौसम न होने पर भी शत्रु पर आक्रमण करना चाहिए ॥13॥ |
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O son of Pandu! If a king who is eager to rise is not weak and has a strong army, he should attack the enemy even when the weather is not conducive for war. ॥13॥ |
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