श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 6: धृतराष्ट्रद्वारा राजनीतिका उपदेश  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  15.6.1 
धृतराष्ट्र उवाच
मण्डलानि च बुध्येथा: परेषामात्मनस्तथा।
उदासीनगणानां च मध्यस्थानां च भारत॥ १॥
 
 
अनुवाद
धृतराष्ट्र बोले - भरतनन्दन! तुम्हें अपने शत्रुओं, अपने ही उदासीन राजाओं और बिचौलियों के समूहों का ज्ञान होना चाहिए॥1॥
 
Dhritarashtra said – Bharatanandan! You should have knowledge of your enemies, your own, indifferent kings and the circles of middlemen. 1॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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