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श्लोक 15.5.8  |
अप्रमादस्त्वया कार्य: सर्वथा कुरुनन्दन।
अष्टाङ्गे राजशार्दूल राज्ये धर्मपुरस्कृते॥ ८॥ |
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अनुवाद |
कुरुनन्दन! हे राजन सिंह! इस आठ अंगों वाले राज्य में तुम धर्म को सर्वोपरि रखो और इसकी रक्षा तथा व्यवस्था में कभी भी प्रमाद न करो। ॥8॥ |
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Kurunandan! O King Lion! In this eight-part kingdom you must always keep Dharma ahead of everything else and never commit any negligence in its protection and management. ॥ 8॥ |
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