श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 5: धृतराष्ट्रके द्वारा युधिष्ठिरको राजनीतिका उपदेश  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  15.5.22 
समस्तैरपि च व्यस्तैर्व्यपदेशेन केनचित्।
सुसंवृतं मन्त्रगृहं स्थलं चारुह्य मन्त्रये:॥ २२॥
 
 
अनुवाद
सभी मंत्रियों को या उनमें से दो को किसी काम के बहाने किसी बंद कमरे में या खुले मैदान में ले जाओ और उनसे किसी गहन विषय पर चर्चा करो॥ 22॥
 
Take all the ministers or two of them on the pretext of some work into a closed room or an open field and discuss with them on some deep subject.॥ 22॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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