श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 5: धृतराष्ट्रके द्वारा युधिष्ठिरको राजनीतिका उपदेश  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  15.5.18 
पुरुषैरलमर्थस्ते विदितै: कुलशीलत:।
आत्मा च रक्ष्य: सततं भोजनादिषु भारत॥ १८॥
 
 
अनुवाद
‘भारत! तुम्हें उन लोगों से काम लेना चाहिए जिनका कुल और चरित्र प्रसिद्ध हो। तुम्हें भोजन आदि अवसरों पर सदैव आत्मरक्षा का ध्यान रखना चाहिए॥18॥
 
‘Bharat! You should take work from those people whose lineage and character are well known. You should always pay attention to self-defense during occasions like food etc.॥ 18॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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