श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 5: धृतराष्ट्रके द्वारा युधिष्ठिरको राजनीतिका उपदेश  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  15.5.10 
विद्यावृद्धान् सदैव त्वमुपासीथा युधिष्ठिर।
शृणुयास्ते च यद् ब्रूयु: कुर्याश्चैवाविचारयन्॥ १०॥
 
 
अनुवाद
युधिष्ठिर! सदैव ज्ञानी पुरुषों की संगति करो। वे जो कुछ कहें, उसे ध्यानपूर्वक सुनो और बिना सोचे-समझे उसका पालन करो।
 
‘Yudhishthira! Always keep company with learned men who are advanced in knowledge. Listen carefully to whatever they say and follow it without thinking.'
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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