श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 37: नारदजीसे धृतराष्ट्र आदिके दावानलमें दग्ध हो जानेका हाल जानकर युधिष्ठिर आदिका शोक करना  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  15.37.9 
नारद उवाच
स्थिरीभूय महाराज शृणु वृत्तं यथातथम्।
यथा श्रुतं च दृष्टं च मया तस्मिंस्तपोवने॥ ९॥
 
 
अनुवाद
नारद बोले, "महाराज! मैंने उस आश्रम में जो कुछ देखा और सुना, वह सब मैं आपसे कह रहा हूँ। कृपया शांत मन से मेरी बात सुनें।"
 
Narada said, "Maharaj! I am telling you the full story of what I saw and heard in that hermitage. Please listen to me with a calm mind.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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