श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 37: नारदजीसे धृतराष्ट्र आदिके दावानलमें दग्ध हो जानेका हाल जानकर युधिष्ठिर आदिका शोक करना  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  15.37.5 
नारद उवाच
चिरदृष्टोऽसि मेत्येवमागतोऽहं तपोवनात्।
परिदृष्टानि तीर्थानि गङ्गा चैव मया नृप॥ ५॥
 
 
अनुवाद
नारदजी बोले, "हे प्रभु! मैंने बहुत दिन पहले आपके दर्शन किए थे, इसीलिए तपोवन से सीधे यहाँ आ रहा हूँ। रास्ते में मैंने अनेक तीर्थस्थानों और गंगाजी के भी दर्शन किए हैं।"
 
Naradji said- O Lord! I saw you many days ago, that is why I am coming here directly from Tapovan. On the way I have visited many pilgrimage places and Gangaji as well.
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.