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श्लोक 15.37.44  |
तं च वृद्धं तथा दग्धं हतपुत्रं नराधिपम्।
अन्वशोचन्त ते सर्वे गान्धारीं च तपस्विनीम्॥ ४४॥ |
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अनुवाद |
पुत्रहीन वृद्ध राजा धृतराष्ट्र और तपस्विनी गांधारी देवी का इस प्रकार भस्म हो जाना सुनकर सब लोग बार-बार विलाप करने लगे ॥ 44॥ |
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On hearing that the sonless old King Dhritarashtra and the ascetic Gandhari Devi had been burnt in this manner, everyone began to lament repeatedly. ॥ 44॥ |
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