श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 37: नारदजीसे धृतराष्ट्र आदिके दावानलमें दग्ध हो जानेका हाल जानकर युधिष्ठिर आदिका शोक करना  »  श्लोक 44
 
 
श्लोक  15.37.44 
तं च वृद्धं तथा दग्धं हतपुत्रं नराधिपम्।
अन्वशोचन्त ते सर्वे गान्धारीं च तपस्विनीम्॥ ४४॥
 
 
अनुवाद
पुत्रहीन वृद्ध राजा धृतराष्ट्र और तपस्विनी गांधारी देवी का इस प्रकार भस्म हो जाना सुनकर सब लोग बार-बार विलाप करने लगे ॥ 44॥
 
On hearing that the sonless old King Dhritarashtra and the ascetic Gandhari Devi had been burnt in this manner, everyone began to lament repeatedly. ॥ 44॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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