श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 37: नारदजीसे धृतराष्ट्र आदिके दावानलमें दग्ध हो जानेका हाल जानकर युधिष्ठिर आदिका शोक करना  »  श्लोक 39-40h
 
 
श्लोक  15.37.39-40h 
वैशम्पायन उवाच
एतच्छ्रुत्वा च सर्वेषां पाण्डवानां महात्मनाम्॥ ३९॥
निर्याणं धृतराष्ट्रस्य शोक: समभवन्महान्।
 
 
अनुवाद
वैशम्पायन जी कहते हैं: जनमेजय! राजा धृतराष्ट्र की मृत्यु का समाचार सुनकर समस्त महाबली पाण्डवों को बड़ा दुःख हुआ।
 
Vaishmpayana says: Janamejaya! On hearing the news of King Dhritarashtra's death, all the great Pandavas were deeply saddened. 39 1/2
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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