श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 37: नारदजीसे धृतराष्ट्र आदिके दावानलमें दग्ध हो जानेका हाल जानकर युधिष्ठिर आदिका शोक करना  »  श्लोक 29-30h
 
 
श्लोक  15.37.29-30h 
संजयस्तं तथा दृष्ट्वा प्रदक्षिणमथाकरोत्॥ २९॥
उवाच चैनं मेधावी युङ्क्ष्वात्मानमिति प्रभो।
 
 
अनुवाद
उन्हें उस अवस्था में देखकर बुद्धिमान संजय ने उनकी परिक्रमा की और कहा - 'महाराज! अब आप योग से युक्त हो जाइए।
 
Seeing him in that state, the intelligent Sanjaya circled around him and said - 'Maharaj! Now align yourself with Yoga.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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