श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 37: नारदजीसे धृतराष्ट्र आदिके दावानलमें दग्ध हो जानेका हाल जानकर युधिष्ठिर आदिका शोक करना  »  श्लोक 28-29h
 
 
श्लोक  15.37.28-29h 
इत्युक्त्वा संजयं राजा समाधाय मनस्तथा॥ २८॥
प्राङ्मुख: सह गान्धार्या कुन्त्या चोपाविशत् तदा।
 
 
अनुवाद
संजय से ऐसा कहकर राजा धृतराष्ट्र एकाग्रचित्त होकर गांधारी और कुंती के साथ पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ गए।
 
Having said this to Sanjaya, King Dhritarashtra concentrated his mind and sat facing east along with Gandhari and Kunti. 28 1/2.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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