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श्लोक 15.37.28-29h  |
इत्युक्त्वा संजयं राजा समाधाय मनस्तथा॥ २८॥
प्राङ्मुख: सह गान्धार्या कुन्त्या चोपाविशत् तदा। |
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अनुवाद |
संजय से ऐसा कहकर राजा धृतराष्ट्र एकाग्रचित्त होकर गांधारी और कुंती के साथ पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ गए। |
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Having said this to Sanjaya, King Dhritarashtra concentrated his mind and sat facing east along with Gandhari and Kunti. 28 1/2. |
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