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श्लोक 15.37.23-24h  |
गच्छ संजय यत्राग्निर्न त्वां दहति कर्हिचित्॥ २३॥
वयमत्राग्निना युक्ता गमिष्याम: परां गतिम्। |
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अनुवाद |
‘संजय! तुम किसी ऐसे स्थान पर भाग जाओ जहाँ यह अग्नि तुम्हें जला न सके। अब हम यहीं अग्नि में अपनी आहुति देकर परम मोक्ष प्राप्त करेंगे।’॥23 1/2॥ |
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‘Sanjay! You should run away to a place where this fire cannot burn you. We will now sacrifice ourselves in the fire here and attain the ultimate salvation.’॥ 23 1/2॥ |
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