श्री महाभारत » पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व » अध्याय 37: नारदजीसे धृतराष्ट्र आदिके दावानलमें दग्ध हो जानेका हाल जानकर युधिष्ठिर आदिका शोक करना » श्लोक 10-11 |
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| | श्लोक 15.37.10-11  | वनवासनिवृत्तेषु भवत्सु कुरुनन्दन।
कुरुक्षेत्रात् पिता तुभ्यं गङ्गाद्वारं ययौ नृप॥ १०॥
गान्धार्या सहितो धीमान् वध्वा कुन्त्या समन्वित:।
संजयेन च सूतेन साग्निहोत्र: सयाजक:॥ ११॥ | | | अनुवाद | कुरुकुल को सुख पहुँचाने वाले राजा! जब आप लोग वन से लौट आए, तब आपके बुद्धिमान चाचा राजा धृतराष्ट्र गांधारी, पुत्रवधू कुन्ती, सूत संजय, अग्निहोत्र और पुरोहित के साथ कुरुक्षेत्र से गंगाद्वार (हरिद्वार) गए॥10-11॥ | | The king who makes Kurukula happy! When you people returned from the forest, your wise uncle King Dhritarashtra went from Kurukshetra to Gangadwar (Haridwar) along with Gandhari, daughter-in-law Kunti, Suta Sanjay, Agnihotra and the priest. 10-11॥ |
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