श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 36: व्यासजीकी आज्ञासे धृतराष्ट्र आदिका पाण्डवोंको विदा करना और पाण्डवोंका सदलबल हस्तिनापुरमें आना  »  श्लोक 45-46h
 
 
श्लोक  15.36.45-46h 
एवमुक्त: स राजर्षिर्धर्मराज्ञा महात्मना॥ ४५॥
अनुजज्ञे स कौरव्यमभिनन्द्य युधिष्ठिरम्।
 
 
अनुवाद
महात्मा धर्मराज की यह बात सुनकर मुनि धृतराष्ट्र ने कुरुनन्दन युधिष्ठिर का सत्कार किया और उन्हें जाने की आज्ञा दी। 45 1/2॥
 
On hearing this from Mahatma Dharamraj, sage Dhritarashtra greeted Kurunandan Yudhishthir and ordered him to leave. 45 1/2॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.