श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 36: व्यासजीकी आज्ञासे धृतराष्ट्र आदिका पाण्डवोंको विदा करना और पाण्डवोंका सदलबल हस्तिनापुरमें आना  »  श्लोक 42-43h
 
 
श्लोक  15.36.42-43h 
एवं संस्तम्भितं वाक्यै: कुन्त्या बहुविधैर्मन:॥ ४२॥
सहदेवस्य राजेन्द्र राज्ञश्चैव विशेषत:।
 
 
अनुवाद
राजा! इस प्रकार अनेक बातें कहकर कुन्ती ने सहदेव और राजा युधिष्ठिर को सान्त्वना दी।
 
King! By saying many things like this, Kunti consoled Sahadeva and King Yudhishthira. 42 1/2
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.