श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 36: व्यासजीकी आज्ञासे धृतराष्ट्र आदिका पाण्डवोंको विदा करना और पाण्डवोंका सदलबल हस्तिनापुरमें आना  »  श्लोक 39-40
 
 
श्लोक  15.36.39-40 
तमुवाच तत: कुन्ती परिष्वज्य महाभुजम्॥ ३९॥
गम्यतां पुत्र मैवं त्वं वोच: कुरु वचो मम।
आगमा व: शिवा: सन्तु स्वस्था भवत पुत्रका:॥ ४०॥
 
 
अनुवाद
यह सुनकर कुन्ती ने बलवान सहदेव को गले लगा लिया और कहा, 'पुत्र! ऐसी बातें मत कहो। तुम मेरी बात मानकर जाओ। पुत्रो! तुम्हारा मार्ग मंगलमय हो और तुम सदैव स्वस्थ रहो।' 39-40
 
Hearing this Kunti embraced the powerful Sahadeva and said, 'Son! Do not say such things. You listen to me and go. Sons! May your path be auspicious and may you always remain healthy. 39-40.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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