श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 36: व्यासजीकी आज्ञासे धृतराष्ट्र आदिका पाण्डवोंको विदा करना और पाण्डवोंका सदलबल हस्तिनापुरमें आना  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  15.36.24 
कामं गच्छन्तु मे सर्वे भ्रातराेऽनुचरास्तथा।
भवन्तमहमन्विष्ये मातरौ च यतव्रत:॥ २४॥
 
 
अनुवाद
मेरे ये सब भाई और सेवक चाहें तो चले जाएँ; परन्तु मैं नियम और व्रत का पालन करते हुए आपकी और इन दोनों माताओं की सेवा करूँगा॥ 24॥
 
All these brothers and servants of mine may go away if they wish; but I will serve you and these two mothers while observing the rules and vows.॥ 24॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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