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श्लोक 15.36.21  |
त्वय्यद्य पिण्ड: कीर्तिश्च कुलं चेदं प्रतिष्ठितम्।
श्वो वाद्य वा महाबाहो गम्यतां पुत्र मा चिरम्॥ २१॥ |
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अनुवाद |
महाबाहो! आज से पितरों के तर्पण, यश और इस कुल का भार तुम्हारे ऊपर है। पुत्र! तुम्हें आज या कल यहाँ से जाना ही होगा; विलम्ब न करो। |
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‘Mahabaho! From today, the burden of the ancestors' offerings, good fame and this family is on you. Son! You must leave today or tomorrow; do not delay. |
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