श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 36: व्यासजीकी आज्ञासे धृतराष्ट्र आदिका पाण्डवोंको विदा करना और पाण्डवोंका सदलबल हस्तिनापुरमें आना  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  15.36.14 
अजातशत्रो भद्रं ते शृणु मे भ्रातृभि: सह।
त्वत्प्रसादान्महीपाल शोको नास्मान् प्रबाधते॥ १४॥
 
 
अनुवाद
'अजातशत्रु! तुम्हारा कल्याण हो। तुम और तुम्हारे भाई मेरी बात मानो। हे राजन! तुम्हारे आशीर्वाद से अब हमें किसी प्रकार का दुःख नहीं है।॥14॥
 
‘Ajatashatru! May you be blessed. You and your brothers listen to me. O King! Due to your blessings, we are no longer suffering from any kind of grief.॥ 14॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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