श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 31: व्यासजीके द्वारा धृतराष्ट्र आदिके पूर्वजन्मका परिचय तथा उनके कहनेसे सब लोगोंका गङ्गा-तटपर जाना  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  15.31.5 
भवितव्यमवश्यं तत् सुरकार्यमनिन्दिते।
अवतेरुस्तत: सर्वे देवभागा महीतलम्॥ ५॥
 
 
अनुवाद
सती-साध्वी देवी! यह देवताओं का कार्य था और इस रूप में इसका होना अवश्यंभावी था; इसीलिए सभी देवताओं के अंश इस पृथ्वी पर अवतरित हुए थे।
 
Sati-Sadhvi Devi! This was the work of the gods and it was bound to happen in this form; that is why the parts of all the gods had incarnated on this earth. 5.
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.