श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 31: व्यासजीके द्वारा धृतराष्ट्र आदिके पूर्वजन्मका परिचय तथा उनके कहनेसे सब लोगोंका गङ्गा-तटपर जाना  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  15.31.18 
यच्च वै हृदि सर्वेषां दु:खमेतच्चिरं स्थितम्।
तदद्य व्यपनेष्यामि परलोककृताद् भयात्॥ १८॥
 
 
अनुवाद
इन लोगों के लिए जो शोक तुम्हारे हृदय में बहुत समय से अलौकिक भय के कारण रह रहा है, उसे आज मैं दूर कर दूँगा॥18॥
 
Today I will remove the sorrow that has been lingering in your hearts for a long time due to the fear of the supernatural for these people. ॥ 18॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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