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श्लोक 15.31.16  |
द्रोणं बृहस्पतेर्भागं विद्धि द्रौणिं च रुद्रजम्।
भीष्मं च विद्धि गाङ्गेयं वसुं मानुषतां गतम्॥ १६॥ |
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अनुवाद |
द्रोणाचार्य को बृहस्पति और अश्वत्थामा को रुद्र समझें। गंगापुत्र भीष्म को मनुष्य रूप में अवतरित वसु ही समझो। 16॥ |
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Consider Dronacharya as Brihaspati and Ashwatthama as Rudra. Consider Ganga's son Bhishma as a Vasu incarnated in human form. 16॥ |
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