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श्लोक 15.30.11  |
स मामुवाच वेपन्तीं वरं मत्तो वृणीष्व ह।
गम्यतामिति तं चाहं प्रणम्य शिरसावदम्॥ ११॥ |
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अनुवाद |
उन्हें देखते ही मैं काँपने लगी। उन्होंने कहा, 'देवी! मुझसे कोई वर माँग लो।' तब मैंने सिर झुकाकर उनके चरण स्पर्श किए और कहा, 'कृपया यहाँ से चले जाइए।' |
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I started trembling as soon as I saw him. He said, 'Devi! Ask me for a boon.' Then I bowed my head and touched his feet and said, 'Please go away from here.' |
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