श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 30: कुन्तीका कर्णके जन्मका गुप्त रहस्य बताना और व्यासजीका उन्हें सान्त्वना देना  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  15.30.10 
द्विधाकृत्वाऽऽत्मनो देहं भूमौ च गगनेऽपि च।
तताप लोकानेकेन द्वितीयेनागमत् स माम्॥ १०॥
 
 
अनुवाद
उन्होंने दो शरीर बनाए, एक से वे आकाश में रहकर सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को प्रकाशित करते रहे और दूसरे से वे पृथ्वी पर मेरे पास आए॥10॥
 
He created two bodies, with one he stayed in the sky illuminating the entire universe and with the other he came to me on earth.॥10॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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