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श्लोक 15.3.79  |
अथाब्रवीत् पुनर्वाक्यं धृतराष्ट्रो युधिष्ठिरम्।
अनुजानीहि मां राजंस्तापस्ये भरतर्षभ॥ ७९॥ |
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अनुवाद |
इसके बाद धृतराष्ट्र ने पुनः युधिष्ठिर से कहा- 'राजन्! भरतश्रेष्ठ! कृपया मुझे तपस्या करने की अनुमति दें। 79॥ |
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After that Dhritarashtra again said to Yudhishthira - 'King! Bharatshrestha! Please allow me to do penance. 79॥ |
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