श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 3: राजा धृतराष्ट्रका गान्धारीके साथ वनमें जानेके लिये उद्योग एवं युधिष्ठिरसे अनुमति देनेके लिये अनुरोध तथा युधिष्ठिर और कुन्ती आदिका दु:खी होना  »  श्लोक 79
 
 
श्लोक  15.3.79 
अथाब्रवीत् पुनर्वाक्यं धृतराष्ट्रो युधिष्ठिरम्।
अनुजानीहि मां राजंस्तापस्ये भरतर्षभ॥ ७९॥
 
 
अनुवाद
इसके बाद धृतराष्ट्र ने पुनः युधिष्ठिर से कहा- 'राजन्! भरतश्रेष्ठ! कृपया मुझे तपस्या करने की अनुमति दें। 79॥
 
After that Dhritarashtra again said to Yudhishthira - 'King! Bharatshrestha! Please allow me to do penance. 79॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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