श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 3: राजा धृतराष्ट्रका गान्धारीके साथ वनमें जानेके लिये उद्योग एवं युधिष्ठिरसे अनुमति देनेके लिये अनुरोध तथा युधिष्ठिर और कुन्ती आदिका दु:खी होना  »  श्लोक 64
 
 
श्लोक  15.3.64 
आयसी प्रतिमा येन भीमसेनस्य सा पुरा।
चूर्णीकृता बलवता सोऽबलामाश्रित: स्त्रियम्॥ ६४॥
 
 
अनुवाद
वह शक्तिशाली राजा जिसने पहले भीमसेन की लौह प्रतिमा को चूर-चूर कर दिया था, आज एक असहाय स्त्री की दया पर पड़ा है।
 
The powerful king who had earlier crushed the iron statue of Bhimasena to pieces is today lying at the mercy of a helpless woman. 64.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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