श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 3: राजा धृतराष्ट्रका गान्धारीके साथ वनमें जानेके लिये उद्योग एवं युधिष्ठिरसे अनुमति देनेके लिये अनुरोध तथा युधिष्ठिर और कुन्ती आदिका दु:खी होना  »  श्लोक 52
 
 
श्लोक  15.3.52 
स मां त्वं यदि राजेन्द्र परित्यज्य गमिष्यसि।
पृष्ठतस्त्वनुयास्यामि सत्यमात्मानमालभे॥ ५२॥
 
 
अनुवाद
महाराज! यदि आप मुझे छोड़कर चले जाएँ, तो मैं अपनी शपथ खाकर कहता हूँ कि मैं भी आपके पीछे चलूँगा।
 
King! If you leave me and go, I swear by myself that I will also follow you. 52.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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