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श्लोक 15.3.37  |
चीरवल्कलभृद् राजन् गान्धार्या सहितोऽनया।
तवाशिष: प्रयुञ्जानो भविष्यामि वनेचर:॥ ३७॥ |
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अनुवाद |
हे राजन! वहाँ मैं इस गांधारी के साथ वस्त्र और छाल धारण करके वन में विचरण करूँगी और तुम्हें आशीर्वाद देती रहूँगी॥ 37॥ |
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O King! There I will roam in the forest with this Gandhari, wearing a cloth and bark and will keep blessing you.॥ 37॥ |
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