श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 29: धृतराष्ट्रका मृत बान्धवोंके शोकसे दुखी होना तथा गान्धारी और कुन्तीका व्यासजीसे अपने मरे हुए पुत्रोंके दर्शन करनेका अनुरोध  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  15.29.6 
वैशम्पायन उवाच
तेऽनुज्ञातास्तदा राजन् कुरुराजेन पाण्डवा:।
विविधान्यन्नपानानि विश्राम्यानुभवन्ति ते॥ ६॥
 
 
अनुवाद
वैशम्पायन बोले, 'हे राजन! कुरुराज धृतराष्ट्र ने पाण्डवों को नाना प्रकार के भोजन और पेय पदार्थों का आदेश दिया था; अतः वहाँ विश्राम करके उन्होंने सब प्रकार के स्वादिष्ट भोजन किये।
 
Vaishmpayana said, 'O King! The Kuru King Dhritarashtra had ordered the Pandavas to eat various kinds of food and drinks; therefore, after resting there, they ate all kinds of delicious food.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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