श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 29: धृतराष्ट्रका मृत बान्धवोंके शोकसे दुखी होना तथा गान्धारी और कुन्तीका व्यासजीसे अपने मरे हुए पुत्रोंके दर्शन करनेका अनुरोध  »  श्लोक 52-53
 
 
श्लोक  15.29.52-53 
श्वशुराय तत: कुन्ती प्रणम्य शिरसा तदा॥ ५२॥
उवाच वाक्यं सव्रीडा विवृण्वाना पुरातनम्॥ ५३॥
 
 
अनुवाद
तब कुन्ती ने सिर झुकाकर स्वशूर को प्रणाम किया और लज्जित होकर प्राचीन रहस्य प्रकट करके कहा। 52-53।
 
Then Kunti bowed her head and saluted Swashura and feeling ashamed she disclosed the ancient secret and said. 52-53.
 
इति श्रीमहाभारते आश्रमवासिके पर्वणि पुत्रदर्शनपर्वणि धृतराष्ट्रादिकृतप्रार्थने एकोनत्रिंशोऽध्याय:॥ २९॥
इस प्रकार श्रीमहाभारत आश्रमवासिकपर्वके अन्तर्गत पुत्रदर्शनपर्वमें धृतराष्ट्र आदिकी की हुई प्रार्थनाविषयक उन्तीसवाँ अध्याय पूरा हुआ॥ २९॥

 
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.