|
|
|
श्लोक 15.29.40  |
लोकानन्यान् समर्थोऽसि स्रष्टुं सर्वांस्तपोबलात्।
किमु लोकान्तरगतान् राज्ञो दर्शयितुं सुतान्॥ ४०॥ |
|
|
अनुवाद |
आप अपनी तपशक्ति से इन समस्त लोकों की पुनः रचना करने में समर्थ हैं, फिर दूसरे लोकों में गए अपने पुत्रों को एक बार राजा से मिलाने में आपको क्या बड़ी बात है ?॥40॥ |
|
You are capable of recreating all these worlds with your austerity powers. Then what is the big deal for you in reuniting your sons, who have gone to other worlds, with the king once?॥ 40॥ |
|
✨ ai-generated |
|
|