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श्लोक 15.29.32-33h  |
मम पुत्रेण मूढेन पापेनाकृतबुद्धिना॥ ३२॥
क्षयं नीतं कुलं दीप्तं पृथिवीराज्यमिच्छता। |
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अनुवाद |
मेरे पापी और मूर्ख पुत्र ने अशुद्ध बुद्धि से सम्पूर्ण पृथ्वी के राज्य का लोभ करके अपने तेजस्वी कुल को नष्ट कर दिया । 32 1/2॥ |
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My sinful and foolish son, having impure mind, destroyed his shining family by coveting the kingdom of the entire earth. 32 1/2॥ |
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