श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 29: धृतराष्ट्रका मृत बान्धवोंके शोकसे दुखी होना तथा गान्धारी और कुन्तीका व्यासजीसे अपने मरे हुए पुत्रोंके दर्शन करनेका अनुरोध  »  श्लोक 23-24h
 
 
श्लोक  15.29.23-24h 
धन्योऽस्म्यनुगृहीतश्च सफलं जीवितं च मे॥ २३॥
यन्मे समागमोऽद्येह भवद्भि: सह साधुभि:।
 
 
अनुवाद
'प्रभु ! आज मैं धन्य हूँ, मैं आपके आशीर्वाद का पात्र हूँ और मेरा यह जीवन भी सफल है; क्योंकि आज मुझे यहाँ आप जैसे संतों का संग मिला है॥ 23 1/2॥
 
‘Lord! Today I am blessed, I am worthy of your blessings and this life of mine is also successful; because today I have got the company of saints like you here.॥ 23 1/2॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.