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श्लोक 15.29.22-23h  |
एवमुक्त: स राजेन्द्रो व्यासेनामितबुद्धिना॥ २२॥
मुहूर्तमिव संचिन्त्य वचनायोपचक्रमे। |
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अनुवाद |
अत्यन्त बुद्धिमान् ऋषि व्यास के ऐसा कहने पर राजा धृतराष्ट्र ने कुछ देर तक विचार किया और फिर इस प्रकार कहने लगे। |
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After the extremely intelligent sage Vyasa said this, King Dhritarashtra pondered for a while and then began to speak thus. 22 1/2. |
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