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श्लोक 15.29.19-20h  |
श्रुत्वा समागममिमं सर्वेषां वस्तुतो नृप॥ १९॥
संशयच्छेदनार्थाय प्राप्त: कौरवनन्दन। |
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अनुवाद |
कौरवनन्दन! हे राजन! आप सबकी इस सभा के विषय में सुनकर ही मैं आपके मानसिक संशय दूर करने के लिए यहाँ आया हूँ॥191/2॥ |
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Kauravanandan! O Lord of kings! Actually having heard about this gathering of you all I have come here to dispel your mental doubts.॥ 19 1/2॥ |
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