श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 29: धृतराष्ट्रका मृत बान्धवोंके शोकसे दुखी होना तथा गान्धारी और कुन्तीका व्यासजीसे अपने मरे हुए पुत्रोंके दर्शन करनेका अनुरोध  »  श्लोक 19-20h
 
 
श्लोक  15.29.19-20h 
श्रुत्वा समागममिमं सर्वेषां वस्तुतो नृप॥ १९॥
संशयच्छेदनार्थाय प्राप्त: कौरवनन्दन।
 
 
अनुवाद
कौरवनन्दन! हे राजन! आप सबकी इस सभा के विषय में सुनकर ही मैं आपके मानसिक संशय दूर करने के लिए यहाँ आया हूँ॥191/2॥
 
Kauravanandan! O Lord of kings! Actually having heard about this gathering of you all I have come here to dispel your mental doubts.॥ 19 1/2॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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