वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्री महाभारत
»
पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व
»
अध्याय 27: युधिष्ठिर आदिका ऋषियोंके आश्रम देखना, कलश आदि बाँटना और धृतराष्ट्रके पास आकर बैठना, उन सबके पास अन्यान्य ऋषियोंसहित महर्षि व्यासका आगमन
»
श्लोक 4
श्लोक
15.27.4
यदाहारोऽभवद् राजा धृतराष्ट्रो महामना:।
तदाहारा नृवीरास्ते न्यवसंस्तां निशां तदा॥ ४॥
अनुवाद
महाहृदयी राजा धृतराष्ट्र ने जो भोजन किया था, वही भोजन उस रात वीर पाण्डवों ने भी खाया ॥4॥
The same food that the great-hearted King Dhritarashtra had eaten was also eaten by the valiant Pandavas that night. ॥ 4॥
✨ ai-generated
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.