श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 27: युधिष्ठिर आदिका ऋषियोंके आश्रम देखना, कलश आदि बाँटना और धृतराष्ट्रके पास आकर बैठना, उन सबके पास अन्यान्य ऋषियोंसहित महर्षि व्यासका आगमन  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  15.27.4 
यदाहारोऽभवद् राजा धृतराष्ट्रो महामना:।
तदाहारा नृवीरास्ते न्यवसंस्तां निशां तदा॥ ४॥
 
 
अनुवाद
महाहृदयी राजा धृतराष्ट्र ने जो भोजन किया था, वही भोजन उस रात वीर पाण्डवों ने भी खाया ॥4॥
 
The same food that the great-hearted King Dhritarashtra had eaten was also eaten by the valiant Pandavas that night. ॥ 4॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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