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श्लोक 15.27.26  |
ते च सर्वे द्विजश्रेष्ठा विष्टरेषु समन्तत:।
द्वैपायनाभ्यनुज्ञाता निषेदुर्विपुलौजस:॥ २६॥ |
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अनुवाद |
फिर व्यासजी की आज्ञा से अन्य सभी श्रेष्ठ ब्राह्मण चारों ओर बिछे हुए आसनों पर बैठ गये। |
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Then, by Vyasa's order, all the other highly illustrious and great Brahmins sat on the cushions spread all around. |
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इति श्रीमहाभारते आश्रमवासिके पर्वणि आश्रमवासपर्वणि व्यासागमने सप्तविंशोऽध्याय:॥ २७॥
इस प्रकार श्रीमहाभारत आश्रमवासिकपर्वके अन्तर्गत आश्रमवासपर्वमें व्यासका आगमनविषयक सत्ताईसवाँ अध्याय पूरा हुआ॥ २७॥
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