श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 23: सेनासहित पाण्डवोंकी यात्रा और उनका कुरुक्षेत्रमें पहुँचना  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  15.23.5 
पौरजानपदाश्चैव यानैर्बहुविधैस्तथा।
अन्वयु: कुरुराजानं धृतराष्ट्रं दिदृक्षव:॥ ५॥
 
 
अनुवाद
नगर और जनपद के लोग भी राजा धृतराष्ट्र के दर्शन की इच्छा से नाना प्रकार के वाहनों से कुरुराज युधिष्ठिर के पीछे-पीछे चल पड़े ॥5॥
 
The people of the city and the district too, with the desire to see King Dhritarashtra, followed the Kuru King Yudhishthira in various kinds of vehicles. ॥ 5॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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