श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 21: धृतराष्ट्र आदिके लिये पाण्डवों तथा पुरवासियोंकी चिन्ता  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  15.21.3 
कथं नु राजा वृद्ध: स वने वसति निर्जने।
गान्धारी च महाभागा सा च कुन्ती पृथा कथम्॥ ३॥
 
 
अनुवाद
हाय! हमारे वृद्ध राजा उस निर्जन वन में कैसे रहते होंगे? महाबली गांधारी और कुन्तीभोज की पुत्री पृथादेवी वहाँ कैसे अपना समय व्यतीत करती होंगी?॥3॥
 
Alas! How would our old King be living in that deserted forest? How would the great Gandhari and Kunti Bhoja's daughter Pritha Devi be spending their days there?॥ 3॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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