श्री महाभारत  »  पर्व 15: आश्रमवासिक पर्व  »  अध्याय 20: नारदजीका प्राचीन राजर्षियोंकी तप:सिद्धिका दृष्टान्त देकर धृतराष्ट्रकी तपस्याविषयक श्रद्धाको बढ़ाना तथा शतयूपके पूछनेपर धृतराष्ट्रको मिलनेवाली गतिका भी वर्णन करना  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  15.20.4 
तत्र धर्म्या: कथास्तात चक्रुस्ते परमर्षय:।
रमयन्तो महात्मानं धृतराष्ट्रं जनाधिपम्॥ ४॥
 
 
अनुवाद
पिताश्री! वहाँ महर्षियों ने महाराज धृतराष्ट्र का मन बहलाने के लिए अनेक धार्मिक कथाएँ सुनाईं।
 
Father! There the great sages narrated many religious stories to divert the mind of the great king Dhritarashtra.
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.